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Monday 21 April 2014





बाबा साहेब के मिशन को आगे ले जाने का कार्य यदि किसी ने किया है तो एक ही नाम स्मरण होता है “मान्यवर श्री कांशीराम” l मान्यवर जी का सम्पूर्ण जीवन त्याग, समर्पण व संघर्ष की एक मिसाल रहा है l मान्यवर जी का जन्म 15 मार्च 1934 को हुआ l मान्यवर कांशीराम जी ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में सन 1956 में भौतिकी और रसायन शास्त्र विषय लेकर रोपड़ के ही गवर्नमेन्ट कॉलेज से स्नातक उपाधि प्राप्त की l 

इस विशिष्ट योग्यता के आधार पर ही मान्यवर श्री कांशीराम जी को डिफेंस रिसर्च एण्ड डिज़ाइन आर्गेनाइजेशन (डी.आर.डी.ओ.) की महाराष्ट्र में पुन स्थित विस्फोटक अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (ई.आर.डी.एल.) में ‘अनुसंधान अधिकारी’ के पद पर नियुक्ति मिली l 

1962 - 63 में मान्यवर जी ने अपने कार्यालय में जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त वरिष्ठ अधिकारीयों द्वारा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जयंती एवं बुद्ध जयंती का अवकाश निरस्त किये जाने का तीव्र विरोध किया तथा न्यायालय के माध्यम से इन अवकाशों को पुनः बहाल करवाया l 

मान्यवर कांशीराम जी बाबा साहेब के विचारों से काफी प्रभावित हुए खास तौर से 18 मार्च 1956 में शोषितों व उपेक्षित लोगों के लिए दिए गए मार्मिक भाषण से जिसमें बाबा साहेब ने कहा था 
था कि “…. मेरे ज्यादा समय पढाई-लिखाई के मामले में, रिजर्वेशन के मामले में तथा हमारे समाज में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील व अधिकारी पैदा हो, इस काम में लग गया है l लेकिन मैं आज देख रहा हूँ कि ये पढ़े-लिखे कर्मचारी तो एक अगल क्लास (वर्ग) बनकर रह गए है और इनकी हमारे सामने क्लर्कों की एक फ़ौज खड़ी हो गयी है जो कि अपने स्वार्थ के आगे कुछ भी देखने को तैयार नहीं है l अपने गरीब और पीड़ित भाइयों-बहनों के बीच जाकर, उनके उत्थान के लिए काम करने के बजाय, ये लोग सिर्फ अपना पेट पालने में लगे हुए है….”

मान्यवर जी ने बाबा साहेब द्वारा लिखित पुस्तक खासकर “एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट” यानि “जात-पात का बीजनाश” का गहरे से अध्ययन किया, इस पुस्तक ने उनका जीवन ही बदल दिया और बाबा साहेब को अपना आदर्श मानकर उनके पद चिन्हों पर चलने का दृढ़ संकल्प लेते हुए अपनी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया और चल पड़े सोती कौम को जगाने, हलाकि अभी उनके साथ दूर-दूर तक कोई नहीं नज़र आ रहा था पर उन्होंने अपना संघर्ष जरी रखा l इसी बीच उनकी मुलाकात बहन कु. मायावती से हुई l जिन्होंने भी मान्यवर जी का कदम से कदम मिला कर साथ दिया l 

6 दिसम्बर, 1978 को दिल्ली में मान्यवर श्री कांशीराम जी ने देश भर से आये शिक्षित कर्मचारियों को इकठ्ठा कर एक सम्मलेन में “बामसेफ” की विधिवत घोषणा की l बामसेफ/BAMCEF यानि (All-India Backward (SC.ST.OBCs) And Minority communities Employees Federation ) l बामसेफ की सफलता के बाद संघर्ष करने के लिए 6 दिसम्बर 1982 को “दलित शोषित समाज संघर्ष समिति” अर्थात डी.एस-4 का गठन किया l 

मान्यवर श्री कांशी राम जी ने 14 अप्रैल 1984 यानि बाबा साहेब के जन्मदिन के मौके पर अपनी अध्यक्षता में “बहुजन समाज पार्टी” की स्थापना की l पहली बार 1992 में इटावा, उत्तर प्रदेश से और दूसरी बार 1996 में होशियारपुर पंजाब राज्य से लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा 1998 में उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सांसद भी बने l 

मान्यवर जी ने अपना सारा जीवन बाबा साहेब के मिशन को आगे ले जाने में लगा दिया, और सफल भी हुए l उनकी सफलता बहुजन समाज पार्टी के रूप में देखने को मिलती है l 

15 सितम्बर, 2003 को आन्ध्र प्रदेश के जिला पशिचमी गोदावरी स्थित भीमावरम की जनसभा को संबोधित करने के बाद नरसापुर एक्सप्रेस ट्रेन से हैदराबाद लौटते हुए, मान्यवर जी को रस्ते में ही ब्रेनस्ट्रोक हुआ l मान्यवर कांशीराम जी डायबिटीज और ह्रदय रोग से भी पीड़ित थे l

हर किसी को एक न एक दिन मरना है, हर किसी को एक-न-एक दिन मौत आनी ही आनी है, और फिर इसी क्रम में मान्यवर श्री कांशीराम जी का 9 अक्तूबर, 2006 को मृत्यु हो गई, उनके निधन से राष्ट्र ने एक अमूल्य नेता खो दिया है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है l उस समय पूरे देश में एक शोक लहर छा गयी थी क्योकि उनके अनुयायी देश भर में थे और अब उन्हें “बहुजन नायक” के रूप में याद किया जाता है l

कांशीराम आप की नेक कमाई l 
आप ने सोती कौम जगाई l l 

आपको दिल से शत-शत नमन

मान्यवर कांशीराम जी अमर रहे l 

जय भीम नमो बुद्धाय