कोई ईश्वर माने या ना माने यह जिसकी उसकी सोच है । हम तो सिर्फ बाबासाहब कोही सबकुछ मानते है । बाबासाहब हमारे लिए किसी भी ईश्वर से कम नहीं है । जो भी ईश्वर को मानता है , वह किसलिए मानता है ? ऐसा अगर हमने किसीसे पूछा तो वह कहते है ... भगवान् को इस लिए वे मानते है क्योंकि आज वे जो कुछ भी है वह सिर्फ इश्वर की बदौलत है । साथियो मै आपसे पूछता हूँ ... दुनिया में ऐसा एक भी इंसान नहीं जो कहे के उसने ईश्वर को देखा है । फिर वे उस ईश्वर के नाम से क्या नहीं करते है ? सबेरे से लेकर शाम तक इश्वर के ही उलझन में रहते है । ईश्वर के प्रति दो चीजे सामने आती है । पहला श्रद्धा और दुसरा खौप खैर इन बातो में मै ज्यादा उलझनानहीं चाहूँगा क्योंकि यह मेरा विषय नहीं है । मै तो सिर्फ यह सोचके परेशान हो रहा हूँ के , जिस बाबासाहब ने हमको हमारे
माँ/ बाप और ईश्वर से ज्यादा दिया । हमने हमारे बाबासाहब के प्रति क्या किया ? क्योंकि हमारा भी फर्ज बनता है । के हमने कुछ ना कुछ तो भी करना चाहिए । लेकिन हमारे लोग सिर्फ बाते करते है ।
मगर कुछ भी नही करते है .!! जो हमारे मुक्तिदाताने हमसे उम्मीद की थी । उन्होंने हमारे सामने दो लक्ष रखे है ।
(1) हमें इस देश का शासक बनना..sss ????
(2) भारत को बौद्धमय बनाना..sssss ???? लक्ष बड़ा कठिन है । मगर हमने उसपर पूरा ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । और यह लक्ष पूरा करना तभी संभव है , जब हम आपने आपको स्वाभिमानी बापकी स्वाभिमानी औलाद बना सके । लेकिन हमारी समस्या यह है की , हम नाम तो बाबा का लेते है । मगर काम बापू का करते है । जब तक हम .........
" जयभीम जयभीम गाते चलो और बापूजी का दर्शन लेते चलो ऐसी स्थिति जब तक हमारी है । तब यह बात नहीं होगी इसलिए हमे पहले लायक बाप की लायक औलाद बनना होगा । मुझे ऐसा लगता है आपको क्या लगता है ?
इसी उम्मीद के साथ जयभीम ..! जयभारत ..!!
माँ/ बाप और ईश्वर से ज्यादा दिया । हमने हमारे बाबासाहब के प्रति क्या किया ? क्योंकि हमारा भी फर्ज बनता है । के हमने कुछ ना कुछ तो भी करना चाहिए । लेकिन हमारे लोग सिर्फ बाते करते है ।
मगर कुछ भी नही करते है .!! जो हमारे मुक्तिदाताने हमसे उम्मीद की थी । उन्होंने हमारे सामने दो लक्ष रखे है ।
(1) हमें इस देश का शासक बनना..sss ????
(2) भारत को बौद्धमय बनाना..sssss ???? लक्ष बड़ा कठिन है । मगर हमने उसपर पूरा ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । और यह लक्ष पूरा करना तभी संभव है , जब हम आपने आपको स्वाभिमानी बापकी स्वाभिमानी औलाद बना सके । लेकिन हमारी समस्या यह है की , हम नाम तो बाबा का लेते है । मगर काम बापू का करते है । जब तक हम .........
" जयभीम जयभीम गाते चलो और बापूजी का दर्शन लेते चलो ऐसी स्थिति जब तक हमारी है । तब यह बात नहीं होगी इसलिए हमे पहले लायक बाप की लायक औलाद बनना होगा । मुझे ऐसा लगता है आपको क्या लगता है ?
इसी उम्मीद के साथ जयभीम ..! जयभारत ..!!
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