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Sunday 27 July 2014

कबीरजी ने कहा है .........
पोथी पढ मुहिय्या पंडित भया न कोय ।
ढाई अक्षर प्रेम के पढले सो पंडित हो जाय ।।
इस बात को बड़े आसानी से समजे 
मतलब सीधा है । सभीसे प्यार करो......!
लेकिन हम लोग आदमी से ज्यादा धर्म को मानते है । धर्म का मतलब है ,धारण करे सो धर्म । लेकिन यहाँ तो सम्प्रदाय को ही धर्म मानते है ।
आएदिन जातिवाद के शिकार हमारे लोग हो रहे है । और भलेही मोदिको हमारा वैचारिक विरोध है , लेकिन हम लोकतंत्र को मानने और जानने वालोमेसे है । मोदी को प्रधान मंत्री बनते हुए देखा । हमें उनसे यह उम्मीद थी की वे गंगा के
साथ साथ इस देश के हजारो ......
गावमें / देहातोमे बसे हुए करोड़ो गंगाराम के बारे में भी सोचते.
जो इस देश में हर दिन जातिवाद के शिकार हो रहे है ? साथियों कब तक ऐसा चलेगा ? हमारे आने वाली नस्लोका क्या होगा ? या फिर वही दिन ?
ऐसे बहोत सवाल मन के अंदर बैठे है ।आगे क्या होगा यह सोचकर......??????????

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